google-site-verification: googleda2305b0b19f97a7.html What Is Unified Payment Interface (UPI) & How It Works ? Skip to main content

What Is Unified Payment Interface (UPI) & How It Works ?

 What Is Unified Payment Interface (UPI) & How It Works ? 



What Is Unified Payment Interface (UPI) & How It Works ?



UPI Stands For Unified Payment Interface Is An Immediaet Real-Time Payment System Developed By The National Payments Corporation Of India (NCPI). 





It Allows Users Of UPI To Create Virtual Addresses Which Look Like Email Addresses. (E.G SANKARCN@SBI). 






All The Virtual Addresses And Their Associated Real Addresses Are Stored In A Central Repository Of UPI. 






The Banks Can Use This Addresses Translation To Resolve Virtual Addresses For Fund Transfers. 







How UPI Works ? 



How UPI works



To Process A UPI Transaction, The Following Entities Are Involved :




1:- Payer App/PSP: 





PSP Stands For Payment Service Provider. 

Payer PSPs Are Apps That Allow Customers To Initiate/Complete Transaction. For Example :- GPay,Phonepe, Paytm, Freecharge Etc. 





NPCI Takes Care Of The Apps Certification And As Of Now There Are 20+ Third Party Apps Certified By NPCI For Issuing UPI Handles. 





However, All These UPI Apps Need A Sponser Bank To Start Onboarding Users. 








2:- National Payments Corporation Of India (NPCI). NPCI Is A Non-Profit Org Set Up By RBI (Reserve Bank Of India) And Funded By Different Major Banks. It Acts As A Trusted Switch To Connect Banks And Payments Services Providers (PSPs).





Similer To the Role Played By VISA In Case Of Card Payments, NPCI (National Payments Corporation Of India) Makes Sure That Data Flow Between Banks And Payment Apps Are Routed To The Correct And Verified Destinations. 






3:- Issuing Bank (Sender's Bank) 



In Case Of UPI Payment The Money Is Transferred From The Issuing/Sender's Bank Account To The Acquiring (Merchant/Receiver's) Bank Account. 





Issuing Bank Has To Debit Money On NPCI's Request And Send A Debit Response To NPCI (National Payments Corporation Of India) Once The Debit Is Successfully Done. 








4:- Acquiring Bank (Receiver's Bank) 





The Acquiring (Receiver) Bank's Job Is To Credit Money On NPCI's Request And Send A Credit Response To NPCI (National Payments Corporation Of India) The Credit Is Successfully Done. 











Thanks For Visiting. 





You Can Subscribe Our Youtube▶️ Channel :-

 Vikas Education YouTube ▶️

Comments

Post a Comment

Popular posts from this blog

मात्रक किसे कहते हैं ? मात्रक के प्रकार , और उसके फार्मूला ।

                  मात्रक (Units)    1-  मात्रक (Unit)किसे कहते हैं ?  Ans- किसी भी भौतिक राशि के मापन के लिए चुनी गयी मानक राशि को, मात्रक कहते हैं।  2-  परिमाण (Magnitude)किसे कहते हैं ?  Ans- किसी राशि मे उसका मात्रक जितनी बार शामिल होता है, वह संख्या उस राशि का परिमाण कहलाता हैं।  3-  मूल मात्रक ( Fundamental Units) किसे कहते हैं ?  Ans- वैसे मात्रक ( लम्बाई, द्रव्यमान, समय आदि ) जो एक दूसरे से स्वतंत्र या अलग होते हैं, मूल मात्रक कहलाते है।  जैसे - द्रव्यमान का मात्रक 'ग्राम' , समय का मात्रक 'सेकेंड', लंबाई का मात्रक 'सेंटीमीटर हैं।  4-  व्युत्पन्न मात्रक (Derived Units) किसे कहते है ?  Ans - वैसी राशियाँ जो मूल मात्रको पर निर्भर करती है,  व्युत्पन्न मात्रक  कहलाता हैै ।  जैसे -   क्षेत्रफल का मात्रक 'वर्गमीटर', घनत्व का मात्रक 'किलोग्राम प्रति घन मीटर' आदि ।  Vikas Education Page :-  S.I के मूल मात्रक ( Fundamental Units of...

बूलियन बीजगणित का इतिहास (History Of Boolean Algebra)

      बूलियन बीजगणित का इतिहास     (History Of Boolean Algebra)  This Post By : Vikas Education   Owner : Vikas Yadav Date/15Oct/2020: Time : 9:00Am Subject : Computer  TOPIC : Boolean Algebra नमस्कार दोस्तो, आज हम आपके लिए Computer से जुड़े एक Content को लेकर आये है, आशा करते है की आपको ये  Post पसंद आयी होगी।        बूलियन बीजगणित का इतिहास  >>   बूलियन बीजगणित (Boolean Algebra) गणितीय प्रणाली विश्व प्रसिद्ध गणितज्ञ जॉर्ज बूलि (George Booli)  (1815-1864) द्वारा विकसित एवं प्रस्तुत की गयी थी, जॉर्ज बूली एक अंग्रेज गणितज्ञ प्रोफेसर थे।  ' बूलियन बीजगणित' तथ्यों  एवं तर्कों (Logics) पर आधारित गणितीय प्रणाली है।  बूलियन बीजगणित के प्रस्तुतीकरण से पहले तर्क (Logic) को तर्कशास्त्र अथवा दर्शनशास्त्र अर्थात फिलॉसफी (Philosophy) के साथ जोड़ा जाता था लेकिन सन् 1847 मे जॉर्ज बूलि ने इस बात पर जोर दिया कि तर्क (Logic) को फिलॉसफी (Philosophy) के बजाय गणित के साथ जोड़ा जाना चाहिए ।...

जीन किसे कहते हैं ? संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए ।

जीन किसे कहते हैं ? संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए ।   उत्तर :- सभी जीवों में आनुवंशिक लक्षणों का नियंत्रण एवंं संचरण आनुवंशिक इकाइयों द्वारा होता है। मेण्डल ने इन इकाइयों को कारक (Factor) कहा था। तथा जोहनसन ने इनके लिए जीन शब्द का प्रयोग किया।                                        जीन की विशेषताएँ   1 :- जीन गुणसूत्र के क्रोमोनीमा पर माला के मोतियों के समान रैखिक क्रम में लगी रचनाएँ हैं जो आनुवंशिक लक्षणो ं का नियंत्रण करती हैं।  2 :- जीन संचरण की इकाई (unit of transmission) हैं जो जनक से संतानो में पहुँचती हैं।  3 :- जीन उप्तरिवर्तन की इकाई (unit of mutation) हैं जिनकी संरचना में परिवर्तन होता रहता है।  4 :- जीन कार्यिकी की इकाई (physiological units) हैं। ये जीवों के विभिन्न लक्षणों का नियंत्रण करती हैं।  5 :- जीन DNA का वह भाग है जिसमें एक प्रोटीन  या   पाॅलिपेप्टाइड श्रृंखला के  संश्लेेेषण की सूचना होती है।  आशा करता हू दोस्तो...