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बूलियन बीजगणित का इतिहास (History Of Boolean Algebra)

      बूलियन बीजगणित का इतिहास     (History Of Boolean Algebra)  This Post By : Vikas Education   Owner : Vikas Yadav Date/15Oct/2020: Time : 9:00Am Subject : Computer  TOPIC : Boolean Algebra नमस्कार दोस्तो, आज हम आपके लिए Computer से जुड़े एक Content को लेकर आये है, आशा करते है की आपको ये  Post पसंद आयी होगी।        बूलियन बीजगणित का इतिहास  >>   बूलियन बीजगणित (Boolean Algebra) गणितीय प्रणाली विश्व प्रसिद्ध गणितज्ञ जॉर्ज बूलि (George Booli)  (1815-1864) द्वारा विकसित एवं प्रस्तुत की गयी थी, जॉर्ज बूली एक अंग्रेज गणितज्ञ प्रोफेसर थे।  ' बूलियन बीजगणित' तथ्यों  एवं तर्कों (Logics) पर आधारित गणितीय प्रणाली है।  बूलियन बीजगणित के प्रस्तुतीकरण से पहले तर्क (Logic) को तर्कशास्त्र अथवा दर्शनशास्त्र अर्थात फिलॉसफी (Philosophy) के साथ जोड़ा जाता था लेकिन सन् 1847 मे जॉर्ज बूलि ने इस बात पर जोर दिया कि तर्क (Logic) को फिलॉसफी (Philosophy) के बजाय गणित के साथ जोड़ा जाना चाहिए ।...

लिंग गुणसूत्र का क्या अर्थ है ?

  लिंग गुणसूत्र का क्या अर्थ है ?   लिंग गुणसूत्र का क्या अर्थ है ?   लिंग गुणसूत्र मनुष्य की सभी कायिक तथा जनन कोशिकाओं में 46 गुणसूत्र होते हैं। इनमें से 44 गुणसूत्रों के 22 समजात जोड़े होते हैं, जिन्हें ऑटोसोम्स (autosomes) कहते हैं।  शेष एक जोड़ा गुणसूत्र लिंग गुणसूत्र कहलाते हैं। पुरुष तथा स्त्री में यह गुणसूत्रों का जोड़ा एक-दूसरे से भिन्न होता है। पुरुष में इस जोड़े (23वें जोड़े) के दोनों गुणसूत्र एक-दूसरे से भिन्न होते हैं, जिनमें से एक छोटा तथा दूसरा बड़ा होता है।  इस प्रकार ये हेटरोसोम्स (heterosomes) हैं। इनमें से बड़ा 'X' तथा छोटा 'Y' गुणसूत्र कहलाता है। स्त्री में दोनों लिंग गुणसूत्र भी समजात तथा 'X' प्रकार के होते हैं।  इस प्रकार :-  1 :- पुरुष की जनन कोशिका में 22 जोड़ा + XY = 46 गुणसूत्र  तथा  2 : - स्त्री की जनन कोशिका में 22 जोड़ा + XX = 46 गुणसूत्र होते हैं,  अर्थात् मनुष्य में लड़के अथवा लड़की का होना इन्हीं लिंग गुणसूत्रों पर निर्भर करता है।  : - आशा करते है दोस्तों की यह पोस्ट आपको पसंद आयी होंगी, ऐसे ही...

जीन किसे कहते हैं ? संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए ।

जीन किसे कहते हैं ? संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए ।   उत्तर :- सभी जीवों में आनुवंशिक लक्षणों का नियंत्रण एवंं संचरण आनुवंशिक इकाइयों द्वारा होता है। मेण्डल ने इन इकाइयों को कारक (Factor) कहा था। तथा जोहनसन ने इनके लिए जीन शब्द का प्रयोग किया।                                        जीन की विशेषताएँ   1 :- जीन गुणसूत्र के क्रोमोनीमा पर माला के मोतियों के समान रैखिक क्रम में लगी रचनाएँ हैं जो आनुवंशिक लक्षणो ं का नियंत्रण करती हैं।  2 :- जीन संचरण की इकाई (unit of transmission) हैं जो जनक से संतानो में पहुँचती हैं।  3 :- जीन उप्तरिवर्तन की इकाई (unit of mutation) हैं जिनकी संरचना में परिवर्तन होता रहता है।  4 :- जीन कार्यिकी की इकाई (physiological units) हैं। ये जीवों के विभिन्न लक्षणों का नियंत्रण करती हैं।  5 :- जीन DNA का वह भाग है जिसमें एक प्रोटीन  या   पाॅलिपेप्टाइड श्रृंखला के  संश्लेेेषण की सूचना होती है।  आशा करता हू दोस्तो...