google-site-verification: googleda2305b0b19f97a7.html दैनिक जीवन में ph का महत्व Skip to main content

दैनिक जीवन में ph का महत्व

 दैनिक जीवन में ph का महत्व :- 






दैनिक जीवन में ph का महत्व :- 





 1:- हमारे पाचन तंत्र का ph :- हमारे उदार स्थित HCL अम्ल भोजन के पाचन में सहायक होता हैंं, अधिक मात्रा में HCL का उत्पादन, उदर में गम्भीर दर्द व जलन उत्पन्न कर देता है। जिससे मुक्त होने के लिए प्रतिअम्ल (antacid) लेना पड़ता है। यह HCL की अधिक मात्रा को अभिक्रिया द्वारा उदासीन कर देता है। मिल्क ऑफ मैग्नीशिया (मैग्नीशियम हाइड्राक्साइड) प्रतिअम्ल का एक अच्छा उदाहरण है। 







2:- ph परिवर्तन के कारण दंत-क्षय :- मुॅंह के ph का मान 5.5 से कम अर्थात अधिक अम्लीय होने पर दाॅंतों का क्षय प्रारंभ हो जाता है। दाॅंतों की सुरक्षा के लिए, दाॅंतों पर कैल्शियम फाॅस्फेट का एनैमल होता है, जिसका ph, 5.5 से कम होने पर संक्षारण हो जाता है। उचित दंत-मंजन (क्षारीय प्रकृति का होने के कारण) के प्रयोग द्वारा दंत-क्षय को रोका जा सकता है। 








‌3:- पशुओं एंव पौधों द्वारा उत्पन्न रसायनों से आत्मरक्षा :- मधुमक्खी के डंक मे अम्ल होता है, जो इसके द्वारा काटने पर यह हमारे शरीर में प्रविष्ट कर जाता है, जिससे हमे जलन व दर्द का अनुभव होता है डंक मारे गए स्थान पर बेकिंग सोडा जैसे दुर्बल- क्षार लगाने से आराम मिलता है। इसी प्रकार कई अन्य जन्तुओं से हम उचित उपचार द्वारा आत्मरक्षा कर सकते हैं। 









4:- पौधों में ph :- कई पौधों से हानिकारक अम्लों का रश्राव होता है। जैसे- नेटल एक शाकीय पौधा है। इसके पत्तों में डंकनुमा बाल होते हैं जो जंतु के शरीर से छू जाने पर डंक जैसा दर्द देते हैं। (क्योंकि इसके बालों से मेथेनोएक अम्ल का रश्राव होता है।) इससे उत्पन्न दर्द को दूर करने के लिए ढाक के पौधे के पत्ते (रगड़कर) का प्रयोग किया जा सकता है। 







हमे आशा है दोस्तो की आप सभी को यह पोस्ट जरूर पसंद आयी होंगी,ऐसे ही पोस्ट के लिए हमे फॉलो करना ना भूले। 






FaceBook : https://www.facebook.com/profile.php?id=100037240013812

FaceBook Education Page : https://www.facebook.com/Vikas-Education-106698657833656/

Entertainment Buzz : https://www.facebook.com/Entertainment-Buzz-100485171829890/

FaceBook Group : https://www.facebook.com/groups/701020507153163/?ref=share

Instagram : https://www.instagram.com/invites/contact/?i=1e9nfvlsnpbya&utm_content=8mlx120

Twitter : https://twitter.com/EstudyVikas?s=09

Dailymotion : https://dai.ly/x7vk0cm

Website : https://vikaseducation11.blogspot.com/

Buy 4K Images : https://www.shutterstock.com/g/Vikas1122?rid=275896637Follow




आप हमें YouTube पर भी Subscribe Kar Sakte Hai :- ▶️ Vikas Estudy YouTube





धन्यवाद। 


Comments

Popular posts from this blog

मात्रक किसे कहते हैं ? मात्रक के प्रकार , और उसके फार्मूला ।

                  मात्रक (Units)    1-  मात्रक (Unit)किसे कहते हैं ?  Ans- किसी भी भौतिक राशि के मापन के लिए चुनी गयी मानक राशि को, मात्रक कहते हैं।  2-  परिमाण (Magnitude)किसे कहते हैं ?  Ans- किसी राशि मे उसका मात्रक जितनी बार शामिल होता है, वह संख्या उस राशि का परिमाण कहलाता हैं।  3-  मूल मात्रक ( Fundamental Units) किसे कहते हैं ?  Ans- वैसे मात्रक ( लम्बाई, द्रव्यमान, समय आदि ) जो एक दूसरे से स्वतंत्र या अलग होते हैं, मूल मात्रक कहलाते है।  जैसे - द्रव्यमान का मात्रक 'ग्राम' , समय का मात्रक 'सेकेंड', लंबाई का मात्रक 'सेंटीमीटर हैं।  4-  व्युत्पन्न मात्रक (Derived Units) किसे कहते है ?  Ans - वैसी राशियाँ जो मूल मात्रको पर निर्भर करती है,  व्युत्पन्न मात्रक  कहलाता हैै ।  जैसे -   क्षेत्रफल का मात्रक 'वर्गमीटर', घनत्व का मात्रक 'किलोग्राम प्रति घन मीटर' आदि ।  Vikas Education Page :-  S.I के मूल मात्रक ( Fundamental Units of...

बूलियन बीजगणित का इतिहास (History Of Boolean Algebra)

      बूलियन बीजगणित का इतिहास     (History Of Boolean Algebra)  This Post By : Vikas Education   Owner : Vikas Yadav Date/15Oct/2020: Time : 9:00Am Subject : Computer  TOPIC : Boolean Algebra नमस्कार दोस्तो, आज हम आपके लिए Computer से जुड़े एक Content को लेकर आये है, आशा करते है की आपको ये  Post पसंद आयी होगी।        बूलियन बीजगणित का इतिहास  >>   बूलियन बीजगणित (Boolean Algebra) गणितीय प्रणाली विश्व प्रसिद्ध गणितज्ञ जॉर्ज बूलि (George Booli)  (1815-1864) द्वारा विकसित एवं प्रस्तुत की गयी थी, जॉर्ज बूली एक अंग्रेज गणितज्ञ प्रोफेसर थे।  ' बूलियन बीजगणित' तथ्यों  एवं तर्कों (Logics) पर आधारित गणितीय प्रणाली है।  बूलियन बीजगणित के प्रस्तुतीकरण से पहले तर्क (Logic) को तर्कशास्त्र अथवा दर्शनशास्त्र अर्थात फिलॉसफी (Philosophy) के साथ जोड़ा जाता था लेकिन सन् 1847 मे जॉर्ज बूलि ने इस बात पर जोर दिया कि तर्क (Logic) को फिलॉसफी (Philosophy) के बजाय गणित के साथ जोड़ा जाना चाहिए ।...

जीन किसे कहते हैं ? संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए ।

जीन किसे कहते हैं ? संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए ।   उत्तर :- सभी जीवों में आनुवंशिक लक्षणों का नियंत्रण एवंं संचरण आनुवंशिक इकाइयों द्वारा होता है। मेण्डल ने इन इकाइयों को कारक (Factor) कहा था। तथा जोहनसन ने इनके लिए जीन शब्द का प्रयोग किया।                                        जीन की विशेषताएँ   1 :- जीन गुणसूत्र के क्रोमोनीमा पर माला के मोतियों के समान रैखिक क्रम में लगी रचनाएँ हैं जो आनुवंशिक लक्षणो ं का नियंत्रण करती हैं।  2 :- जीन संचरण की इकाई (unit of transmission) हैं जो जनक से संतानो में पहुँचती हैं।  3 :- जीन उप्तरिवर्तन की इकाई (unit of mutation) हैं जिनकी संरचना में परिवर्तन होता रहता है।  4 :- जीन कार्यिकी की इकाई (physiological units) हैं। ये जीवों के विभिन्न लक्षणों का नियंत्रण करती हैं।  5 :- जीन DNA का वह भाग है जिसमें एक प्रोटीन  या   पाॅलिपेप्टाइड श्रृंखला के  संश्लेेेषण की सूचना होती है।  आशा करता हू दोस्तो...